क्रिकेट के रोमांच को बनाए रखने वाले महत्वपूर्ण नियमों में से एक है “नो-बॉल”। यह न केवल गेंदबाज के लिए एक गलती है बल्कि इससे खेल में एक नया मोड़ भी आ सकता है। आइए इस लेख में, हम नो-बॉल के बारे में गहराई से समझते हैं, जिसमें हम जानेंगे कि क्रिकेट में नो-बॉल क्या होता है, इसके क्या परिणाम होते हैं और विभिन्न प्रकार की नो-बॉल कौन-सी हैं। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि कैसे विभिन्न क्रिकेट फॉर्मैट में फ्री-हिट का नियम कैसे लागू होता है। तो फिर देर किस बात की, आइए नो-बॉल की दुनिया में एक रोमांचक सफर पर चलें!
नो-बॉल क्या है?
क्रिकेट में नो-बॉल एक महत्वपूर्ण नियम है जो गेंदबाजों द्वारा गलत गेंदबाजी करने पर लागू होता है। यह न केवल बल्लेबाजी टीम को अतिरिक्त रन का मौका देता है, बल्कि सीमित ओवरों के क्रिकेट में रन की गति को भी प्रभावित करता है। नो-बॉल कई स्थितियों में हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
- गेंदबाज का पैर पोपिंग क्रीज से आगे होना: जब गेंदबाज गेंद फेंकते समय अपने अगले पैर को पोपिंग क्रीज से आगे रखता है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंदबाज का पैर रिटर्न क्रीज को छूना: जब गेंदबाज गेंद फेंकते समय अपने पिछले पैर से रिटर्न क्रीज को छूता है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंद कमर से ऊपर फेंकी जाना: जब गेंदबाज कमर से ऊपर फुलटॉस फेंकता है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंद बल्लेबाज के सिर के ऊपर से गुजरना: जब गेंद बल्लेबाज के सिर के ऊपर से गुजरती है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंद दो बार उछलना: जब गेंद बल्लेबाज तक पहुंचने से पहले दो बार उछलती है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंद खेल क्षेत्र के बाहर गिरना: जब गेंद पूरी तरह या आंशिक रूप से खेल क्षेत्र के बाहर गिरती है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकते समय विकेट तोड़ना: जब गेंदबाज गेंद फेंकते समय स्ट्राइक वाले बल्लेबाज के छोर पर विकेट तोड़ देता है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंद फेंकना (चकिंग): जब गेंदबाज चकिंग करता है, जो कि गेंदबाजी का एक अवैध तरीका है, तो यह नो-बॉल होती है।
- अंडरआर्म गेंदबाजी: जब गेंदबाज अंडरआर्म गेंदबाजी करता है, जो कि विशेष अनुमति के बिना अवैध है, तो यह नो-बॉल होती है।
- गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकने से पहले स्ट्राइकर की ओर फेंकना: जब गेंदबाज गेंद फेंकने की गति शुरू करने से पहले स्ट्राइकर की ओर गेंद फेंकता है, तो यह नो-बॉल होती है।
- अंपायरों को गेंदबाजी के प्रकार के बारे में सूचित करने में विफलता: जब गेंदबाज गेंदबाजी शुरू करने से पहले अंपायरों को यह नहीं बताता कि वह दाएं हाथ से गेंदबाजी करेगा या बाएं हाथ से, स्पिन या पेस गेंदबाजी करेगा और विकेट के ऊपर से या उसके चारों ओर गेंदबाजी करेगा, तो यह नो-बॉल होती है।
नो-बॉल का दंड बल्लेबाजी टीम को एक अतिरिक्त रन दिया जाता है। इसके अलावा, सीमित ओवरों के क्रिकेट में, अगली गेंद फ्री-हिट होती है, जिसका अर्थ है कि बल्लेबाज को केवल रन-आउट, स्टंपिंग, फील्ड में बाधा डालने या गेंद को दो बार मारने के तरीकों से ही आउट किया जा सकता है। नो-बॉल क्रिकेट का एक महत्वपूर्ण नियम है जो खेल को निष्पक्ष और रोमांचक बनाए रखने में मदद करता है। यह गेंदबाजों को अनुशासित रहने और सही तरीके से गेंदबाजी करने के लिए प्रेरित करता है।
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नो-बॉल के प्रकार
क्रिकेट में विभिन्न प्रकार की नो-बॉल होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना कारण और प्रभाव होता है। आइए अब इन विभिन्न नो-बॉल के प्रकारों को विस्तार से समझते हैं:
1. नो-बॉल और पोपिंग क्रीज
पोपिंग क्रीज एक पतली रेखा होती है जो विकेट के दोनों ओर विकेट के समानांतर खींची जाती है। यह गेंदबाज के लिए एक सीमा निर्धारित करता है कि वह गेंदबाजी करते समय अपना अगला पैर कहाँ रख सकता है। जब गेंदबाज गेंद फेंकते समय अपना अगला पैर पोपिंग क्रीज से आगे रखता है, तो यह नो-बॉल होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह गेंदबाज को अतिरिक्त लाभ देता है और बल्लेबाज के लिए गेंद को खेलना मुश्किल बना सकता है।
2. रिटर्न क्रीज और बैक-फुट नो-बॉल
रिटर्न क्रीज एक काल्पनिक रेखा है जो विकेट के पीछे स्टंप्स के समानांतर होती है। यह गेंदबाज के लिए एक सीमा निर्धारित करती है कि वह गेंद फेंकते समय अपना पिछला पैर कहाँ रख सकता है। जब गेंदबाज गेंद फेंकते समय अपना पिछला पैर रिटर्न क्रीज को छूता है या उससे आगे जाता है, तो यह बैक-फुट नो-बॉल होती है। मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के नियम 21.5 में कहा गया है कि गेंदबाज गेंद फेंकते समय अपना पिछला पैर रिटर्न क्रीज के पीछे रखना चाहिए। यदि गेंदबाज का पिछला पैर रिटर्न क्रीज को छूता है या उससे आगे जाता है, तो अंपायर नो-बॉल का इशारा कर सकते हैं।
3. कमर की ऊंचाई से ऊपर फेंकी गई गेंद
जब गेंदबाज कमर से ऊपर फुलटॉस फेंकता है, तो यह नो-बॉल माना जाता है। इसका मतलब यह है कि गेंदबाज द्वारा फेंकी गई गेंद बल्लेबाज के कमर से ऊपर नहीं उठ सकती है, जब बल्लेबाज उसे खेलने के लिए तैयार स्थिति में खड़ा हो। आईसीसी अगर गेंदबाज लगातार कमर से ऊंची या खतरनाक शॉर्ट-पिच गेंदबाजी करता है, तो अंपायर उसे चेतावनी दे सकते हैं। यदि गेंदबाज चेतावनी के बाद भी ऐसा करना जारी रखता है, तो उसे नो-बॉल के साथ-साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। आईसीसी के नियम 41 के अनुसार, गेंदबाज को एक ओवर में अधिकतम एक बार ही कमर से ऊंची गेंद फेंकने की अनुमति है। यदि गेंदबाज एक ओवर में दूसरी बार कमर से ऊंची गेंद फेंकता है, तो यह नो-बॉल होगी और बल्लेबाजी टीम को एक अतिरिक्त रन दिया जाएगा।
4. गेंद बल्लेबाज के सिर के ऊपर से गुजरना
एमसीसी नियम 21.10 के अनुसार, यदि गेंद सीधे खड़े बल्लेबाज के सिर के ऊपर से गुजरती है, तो अंपायर नो-बॉल का फैसला सुना सकता है। यह नियम बल्लेबाजों को खतरनाक गेंदबाजी से बचाने के लिए बनाया गया है। अंपायर यह तय करने के लिए अपनी समझ और अनुभव का उपयोग करते हैं कि गेंद बल्लेबाज के सिर के ऊपर से गुजरी है या नहीं। वे बल्लेबाज की ऊंचाई, गेंद की गति और उछाल, और बल्लेबाज की मुद्रा जैसे कारकों पर विचार करते हैं। नियम 41.6 और 41.7 खतरनाक शॉर्ट-पिच गेंदबाजी से संबंधित हैं। इन नियमों के अनुसार, यदि गेंदबाज लगातार बल्लेबाज के शरीर की ओर खतरनाक शॉर्ट-पिच गेंदें फेंकता है, तो अंपायर उसे चेतावनी दे सकता है या उसे नो-बॉल दे सकता है।
5. गेंद दो बार उछलना
एमसीसी के नियम 21.7 के अनुसार, यदि गेंद बल्लेबाज तक पहुंचने से पहले एक से अधिक बार उछलती है या ज़मीन पर लुढ़कती है, तो इसे नो-बॉल माना जाता है। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि बल्लेबाज को एक उचित गेंद खेलने का मौका मिल सके। कई बार, गेंद पिच पर उछलने के बाद अनियमित रूप से उछाल कर सकती है, जिससे बल्लेबाज के लिए उसे खेलना मुश्किल हो जाता है। यदि गेंद दो बार उछलती है या ज़मीन पर लुढ़कती है, तो यह बल्लेबाज के लिए खतरनाक हो सकती है और उसे चोटिल भी कर सकती है। इसलिए, नो-बॉल का नियम बल्लेबाजों को सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें एक उचित खेल खेलने का मौका देता है।
6. खेल क्षेत्र के बाहर गेंद का गिरना
जब गेंद पूरी तरह से या आंशिक रूप से खेल क्षेत्र के बाहर गिरती है, तो इसे नो-बॉल माना जाता है। यह नियम क्रिकेट के मैदान के आकार और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। खेल क्षेत्र के बाहर गिरने वाली गेंद को खेल में शामिल नहीं माना जाता है, क्योंकि यह बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों के लिए अनुचित हो सकती है।
7. गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकते समय विकेट तोड़ना
जब गेंदबाज गेंद फेंकते समय स्ट्राइक वाले बल्लेबाज के छोर पर विकेट तोड़ देता है, तो यह नो-बॉल होती है। यह तब भी लागू होता है जब गेंदबाज विकेट तोड़ने का इरादा नहीं रखता है और गलती से ऐसा करता है। 2013 में, एमसीसी ने इस नियम में बदलाव किया। पहले, यदि गेंदबाज गेंद फेंकते समय स्ट्राइक वाले बल्लेबाज के छोर पर विकेट तोड़ देता था, तो बल्लेबाजी टीम को एक रन दिया जाता था और अगली गेंद नो-बॉल होती थी। लेकिन अब, यदि गेंदबाज गेंद फेंकते समय स्ट्राइक वाले बल्लेबाज के छोर पर विकेट तोड़ देता है, तो बल्लेबाजी टीम को एक रन दिया जाता है और अगली गेंद फ्री-हिट होती है। फ्री-हिट का मतलब है कि बल्लेबाज को केवल रन-आउट, स्टंपिंग, फील्ड में बाधा डालने या गेंद को दो बार मारने के तरीकों से ही आउट किया जा सकता है।
8. गेंदबाजी के प्रकार के बारे में सूचित करने में विफलता
एमसीसी के नियम 21.1.1 के अनुसार, गेंदबाजी शुरू करने से पहले गेंदबाज को अंपायर को यह बताना जरूरी होता है कि वह दाएं हाथ से गेंदबाजी करेगा या बाएं हाथ से, स्पिन या पेस गेंदबाजी करेगा और विकेट के ऊपर से या उसके चारों ओर गेंदबाजी करेगा। यदि गेंदबाज ऐसा करने में विफल रहता है, तो यह नो-बॉल हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि गेंदबाज दाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी करने की घोषणा करता है, लेकिन बाएं हाथ से स्पिन गेंद फेंकता है, तो यह नो-बॉल होगी। यह नियम गेंदबाजी में निष्पक्षता बनाए रखने और अंपायरों को गेंदबाजी की प्रकृति के बारे में जानकारी रखने में मदद करने के लिए बनाया गया है।
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निष्कर्ष
इस लेख में, हमने क्रिकेट में नो-बॉल के बारे में गहराई से समझा है। हमने न केवल यह समझा कि नो-बॉल क्या है और इसके क्या परिणाम होते हैं, बल्कि हमने विभिन्न प्रकार की नो-बॉल और उनके कारणों को भी जाना। नो-बॉल क्रिकेट का एक महत्वपूर्ण नियम है जो खेल में संतुलन बनाए रखने और गेंदबाजों को अनुशासित बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह नियम बल्लेबाजी टीम को अतिरिक्त रन का मौका देता है और सीमित ओवरों के क्रिकेट में रोमांच बढ़ाता है।