क्रिकेट में डेड बॉल किसे कहते हैं? जानें विस्तार से

Prem Kumar

क्रिकेट में डेड बॉल
Fun88 Logo

पहली जमा राशि पर ₹20,000 तक का बोनस प्राप्त करें।

Paytm
Phonepe
Google Pay
Rupay
Rupay
Mastercard

क्रिकेट, रोमांच और उत्साह से भरपूर खेल, अनेक नियमों से युक्त है। ‘डेड बॉल’ इन नियमों में से एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो खेल की गति को नियंत्रित करता है और रणनीतिक योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में हम डेड बॉल का अर्थ, इसके घोषित होने के कारणों, प्रभावों और महत्व को समझेंगे। इसके बाद हम यह भी जानेंगे कि डेड बॉल कब होती है, विभिन्न परिस्थितियों में इसका क्या प्रभाव पड़ता है, और यह क्रिकेट के खेल को कैसे प्रभावित करता है। तो तैयार हो जाइए, डेड बॉल को बेहतर ढंग से समझने के लिए।

क्रिकेट में डेड बॉल क्या है?

डेड बॉल क्रिकेट खेल में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो खेल के दौरान कई बार होती है। सरल शब्दों में, डेड बॉल का अर्थ है जब गेंद खेलने योग्य नहीं होती है और न ही बल्लेबाज रन बना सकते हैं। यह तब होता है जब बल्लेबाज गेंद खेलने के लिए तैयार नहीं होता है, यानि यदि बल्लेबाज गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले तैयार नहीं है, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है। वहीं जब बल्लेबाज आउट हो जाता है, तो गेंद डेड हो जाती है और खेल रुक जाता है। कभी यदि गेंद बल्लेबाज या उसके कपड़ों में फंस जाती है, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है। वैसे ही जब गेंदबाज गेंद फेंकने के लिए अपना रनअप पूरा करता है, तो गेंद डेड हो जाती है और जब गेंद बाउंड्री से बाहर जाती है, तो गेंद डेड हो जाती है।

कुछ परिस्थितियों में, यदि अंपायर को लगता है कि खेल खतरनाक हो गया है या खेल भावना का उल्लंघन हो रहा है, तो वे डेड बॉल घोषित कर सकते हैं। वैसे ही यदि कोई खिलाड़ी घायल हो जाता है या अनुचित खेल करता है, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है।

डेड बॉल घोषित होने पर, गेंद तब तक जीवित नहीं होती जब तक कि अंपायर “प्ले” का संकेत नहीं देता। यह क्रिकेट खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह खेल को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।

क्रिकेट में डेड बॉल कब घोषित होती है? 

डेड बॉल एक ऐसी स्थिति है जहाँ क्रिकेट में गेंद खेलने योग्य नहीं रहती और रन बनाना बंद हो जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डेड बॉल घोषित होने पर, खिलाड़ी गेंद को नहीं खेल सकते हैं और न ही रन बना सकते हैं। आइए हम उन विभिन्न परिस्थितियों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जिनमें डेड बॉल घोषित हो सकती है:

बल्लेबाज से जुड़े डेड बॉल के कारण

डेड बॉल घोषित होने के कई कारण होते हैं, जिनमें से कुछ बल्लेबाज से जुड़े होते हैं। आइए हम उन परिस्थितियों के बारे में जानते हैं:

  1. बल्लेबाज गेंद खेलने के लिए तैयार नहीं: यदि बल्लेबाज गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले तैयार नहीं है, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है। यह तब हो सकता है जब बल्लेबाज अभी भी क्रीज में नहीं है, या जब वह गेंद खेलने के लिए तैयार नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि बल्लेबाज अपना हेलमेट लगा रहा हो, या वह गेंदबाज को देख नहीं रहा हो, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है।
  2. बल्लेबाज का आउट हो जाना: जब बल्लेबाज आउट हो जाता है गेंद डेड हो पर, जैसे कि बोल्ड, कैच, रन आउट, एल.बी.डब्ल्यू., और स्टंप्ड। तो बल्लेबाज़ को आउट नहीं मन जात।
  3. गेंद बल्लेबाज या उसके कपड़ों में फंस जाना: यदि गेंद बल्लेबाज या उसके कपड़ों में फंस जाती है, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है। यह तब हो सकता है जब बल्लेबाज गेंद को मारने की कोशिश करता है, लेकिन गेंद उसके बल्ले या कपड़ों में फंस जाए।

संबंधित पढ़े: क्रिकेट पर सट्टा कैसे लगाएं?

गेंदबाज से जुड़े डेड बॉल के कारण

डेड बॉल घोषित होने के कई कारण गेंदबाज से जुड़े होते हैं, जिनमें यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गेंदबाज के रनअप पूरा करने के बाद ही डेड बॉल घोषित होती है। आइए अब हम उन परिस्थितियों के बारे में जानते हैं:

  1. गेंदबाज रनअप पूरा करना: गेंदबाज का रनअप क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह वह गति है जो गेंदबाज गेंद फेंकने से पहले प्राप्त करता है। गेंदबाज रनअप पूरा करने के बाद ही गेंद फेंक सकता है। जब गेंदबाज रनअप पूरा करता है और गेंद डेड हो जाती है। इसका कारण यह हो सकता है कि गेंद को खेलने के लिए बल्लेबाज तैयार ना हो। इसका मतलब है कि गेंदबाज जब गेंद फेंकने के लिए अपना रनअप शुरू करता है तो उस समय बल्लेबाज का तैयार रहना आवश्यक है। यदि बल्लेबाज तैयार नहीं है, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है। गेंदबाज रनअप पूरा करने के बाद गेंद को नहीं छू सकता है, भले ही वह गलती से हो। यदि गेंदबाज गेंद को छूता है, तो अंपायर नो-बॉल दे सकता है।

डेड बॉल घोषित होने के अन्य कारण

आइए अब हम उन अन्य परिस्थितियों के बारे में जानते हैं, जिनमें डेड बॉल घोषित हो जाती है:

  1. खराब रोशनी: यदि प्रकाश खेलने के लिए अपर्याप्त हो जाता है, तो अंपायर खेल को रोक सकता है और डेड बॉल घोषित कर सकता है।
  2. खिलाड़ी की चोट: यदि कोई खिलाड़ी घायल हो जाता है, तो अंपायर खेल को रोक सकता है और डेड बॉल घोषित कर सकता है।
  3. अनुचित खेल: यदि कोई खिलाड़ी अनुचित खेल करता है, जैसे कि जानबूझकर गेंद को रोकना, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है और उस खिलाड़ी को दंडित कर सकता है।
  4. चोट या अनुचित खेल: यदि कोई खिलाड़ी घायल हो जाता है, तो अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है और खेल को रोक सकता है। खिलाड़ी को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है और खेल तब तक फिर से शुरू नहीं होता जब तक कि खिलाड़ी खेलने के लिए फिट नहीं हो जाता। अनुचित खेल के मामले में, अंपायर डेड बॉल घोषित कर सकता है और खिलाड़ी को दंडित कर सकता है। दंड में नो बॉल, फ्री हिट, या रन पेनल्टी शामिल हो सकती है।

यह भी पढ़े: क्या है क्रिकेट मे डॉट बॉल?

क्रिकेट में डेड बॉल के क्या प्रभाव है?

डेड बॉल खेल को सुचारू रूप से चलाने और खिलाड़ियों को सुरक्षित रखने में मदद करता है क्योंकि डेड बॉल क्रिकेट खेल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके कई प्रभाव होते हैं:

  1. रन बनाना: जब डेड बॉल घोषित होता है, तो बल्लेबाज रन नहीं बना सकते हैं। यह तब तक जारी रहता है जब तक कि गेंद दोबारा जीवित नहीं हो जाती।
  2. बल्लेबाज को आउट करना: डेड बॉल के दौरान बल्लेबाज को आउट नहीं किया जा सकता है, भले ही वह किसी भी तरह से आउट होने की स्थिति में हो।
  3. गेंद को खेलना: डेड बॉल होने पर खिलाड़ी गेंद को नहीं खेल सकते हैं। यदि कोई खिलाड़ी डेड बॉल खेलने का प्रयास करता है, तो अंपायर उसे दंडित कर सकता है।
  4. गेंद दोबारा जीवित यानि लाइव होना: गेंद कई तरीकों से दोबारा जीवित हो सकती है:
  • अंपायर द्वारा “प्ले” का संकेत देने पर: जब अंपायर “प्ले” का संकेत देता है, तो गेंद दोबारा जीवित हो जाती है और खिलाड़ी खेलना शुरू कर सकते हैं।
  • गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकने पर: जब गेंदबाज गेंद फेंकता है, तो गेंद दोबारा जीवित हो जाती है और बल्लेबाज उसे खेल सकता है।
  • बल्लेबाज द्वारा गेंद को स्ट्राइक करने पर: जब बल्लेबाज गेंद को स्ट्राइक करता है, तो गेंद दोबारा जीवित हो जाती है और खिलाड़ी खेलना शुरू कर सकते हैं।

यह भी पढ़े: वर्ल्ड कप के इतिहास में हैट्रिक लेने वाले गेंदबाज

निष्कर्ष 

इस लेख में जैसा कि हमने देखा कि डेड बॉल विभिन्न परिस्थितियों में घोषित हो सकती है, डेड बॉल घोषित होने पर गेंद खेलने योग्य नहीं होती और न ही रन बनाए जा सकते हैं। डेड बॉल के बाद, गेंद तब तक जीवित नहीं होती जब तक कि अंपायर “प्ले” का संकेत नहीं देता। डेड बॉल क्रिकेट खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह खेल को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। यह खिलाड़ियों को सुरक्षित रखने, खेल भावना को बनाए रखने और खेल के नियमों का पालन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

About the author

Prem Kumar